सीएम अखिलेश ने ‘यूपी 100’ से पुलिस सिस्टम को बनाया बेहद खास
उत्तर प्रदेश की पुलिस अब ज्यादा तत्पर और मुस्तैद दिखेगी। डायल 100 की तर्ज पर आज से शुरू हो रही ‘यूपी 100’ परियोजना से उत्तर प्रदेश के किसी भी कोने में और कहीं भी, कभी भी आपातस्थिति में 20 मिनट के भीतर पुलिस की सेवा मिलेगी। हाईटेक अपराधी, साइबर क्राइम और नई चुनौतियों से निपटने के लिए अखिलेश सराकर ने ‘यूपी 100’ के तहत पुलिस को दुनिया की आधुनिकतम तकनीक और संसाधन से लैस किया है। माना जा रहा है कि अमेरिका के डायल 911 के तर्ज पर शुरू की गई यह परियोजना भी गेम चेंजर होगी और यूपी समाजवादी एम्बुलेंस सेवा 108 की तरह ही यह भी देश भर में कीर्तिमान स्थापित करेगी। क्योंकि इस परियोजना के लिए सिंगापुर से लेकर अमेरिका तक के शहरों में जाकर स्टडी हुई है। यूपी 100 का शुभारंभ कर अखिलेश सरकार पुलिस की कार्यशैली में बदलाव लाने के साथ-साथ आम जनता को किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में त्वरित सहायता पहुँचाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है. यूपी 100 परियोजना की कुल लागत 2325.33 करोड़ रुपये है, जिसके लिये लखनऊ में एक ‘‘केन्द्रीय मास्टर को-आर्डिनेशन सेन्टर स्थापित किया गया है। इससे पूरे प्रदेश में कहीं भी और कभी भी घटना की सूचना मिलने पर 20 मिनट के भीतर पुलिस पहुँच सकेगी। इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होगी बल्कि महिलाओं और बच्चों का भी आत्मबल बढ़ेगा। दरअसल इस परियोजना के अंर्तगत किसी आकस्मिक स्थिति में प्रदेश के किसी भी स्थान से फोन, एसएमएस तथा मोबाइल एप या अन्य किसी संचार माध्यम से राज्य व्यापी यूपी 100 परियोजना के केन्द्र से संपर्क करने वाले को तत्काल पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुविधा 365 दिन 24 घंटे मिलेगी। पीड़ित व्यक्ति के पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट होने के बाद ही प्रकरण को बंद किया जाएगा। आइये जानते हैं क्या है यूपी 100 की खासियत….
मजबूत होगा आत्मबल, पुलिस पर बढ़ेगा जनता का भरोसा
यूपी 100 योजना के तहत फील्ड में तैनात किए जाने वाले वाहन नवीनतम तकनीकी से लैस होंगे। यूपी 100 देश में पहली ऐसी इमरजेंसी योजना है जिसमें रेडियो ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (आरओआईपी) तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके चलते अगर मोबाइल नेटवर्क नहीं आ रहा है तब भी पुलिसकर्मी मास्टर कंट्रोल रूम से संपर्क कर सकेंगे। इससे वायरलेस से संपर्क करने की सीमा 30-40 किमी. से बढ़कर पूरे प्रदेश में हो जाएगी। सूचनाओं का आदान प्रदान काफी तेजी से होगा। आरओआईपी की नेटवर्किंग के लिए 126 बेस स्टेशन बनाए गए हैं। इसमें सभी जिलों के साथ रेंज ऑफिस, जोन कार्यालय और पुलिस के 25 अन्य महत्वपूर्ण ऑफिस जैसे एडीजी टेक्निकल, पीएसी हेड क्वार्टर, रेलवे, फायर हेड क्वार्टर, इलाहाबाद पुलिस मुख्यालय में बेस स्टेशन बनाए गए हैं।
नवीनतम तकनीकी से लैस होंगे वाहन
यूपी 100 की हर गाड़ी में मोबाइल डाटा टर्मिनल (एमडीटी) होगा। इन सुविधाओं से हर घटना की सूचना यूपी 100 पर प्राप्त होगी। साफ्टवेयर की मदद से यह सूचना एमडीटी पर भेजी जाएगी, जिसे साफ्टवेयर पहचानेगा और घटनास्थल पर पहुंचने के लिए एक मानचित्र खोल देगा। इससे वाहन गाड़ी निर्धारित स्थान पर पहुंचेगा। इस मैप में हिन्दी में रास्ता बताते रहने की सुविधा भी उपलब्ध है। घटनास्थल पर पहुंचने के बाद कार्रवाई की रिपोर्ट पुलिसकर्मी टेक्स्ट, वीडियो या आडियो के रूप में बनाकर साफ्टवेयर के माध्यम से ही कन्ट्रोल रूम भेजेंगे।
गाड़ी और पुलिस के सीयूजी नंबर के आखिरी चार नंबर एक से ही होंगे
पहले चरण में लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, आगरा, वाराणसी समेत 10 जिलों में यूपी 100 सेवा शुरू होगी। इन जिलों के लिए 648 गाड़ियां दी जा रही हैं। दूसरे चरण में 21 और तीसरे व चौथे चरण में 22-22 जिलों में यूपी 100 की शुरुआत होगी। यूपी 100 की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर के चार अंक और गाड़ी में चलने वाले पुलिसकर्मी के सीयूजी मोबाइल फोन व मोबाइल डाटा टर्मिनल के नंबर के आखिरी चार अंक एक जैसे ही होंगे। ताकि लोग पुलिसकर्मी का नंबर आसानी से याद रख सकें।
दिन हो या रात, शहर या गांव; एक कॉल पर मिलेगी मदद
जिस तरह 108 नंबर डायल करने पर एंबुलेंस पहुंचती है, उसी तरह इस परियोजना को भी तैयार किया गया है। यूपी में किसी भी जगह से फोन या एसएमएस करने पर सूचना देने वाले की कॉल लखनऊ स्थित मेगा कंट्रोल रूम पहुंचेगी। यहाँ एक दिन में कम्यूनिकेशन ऑफिसर्स 2 लाख फोन अटेंड कर सकेंगे। यहां बैठे कम्यूनिकेशन ऑफिसर्स सुचना देने वाले की शिकायत, जानकारी और घटना वाली जगह का पता लगाएंगे। इसके बाद इस मैसेज को चंद सेकेंड के अंदर लोकेशन से सबसे नजदीक मौजूद यूपी 100 के दस्ते को भेज दिया जाएगा। यह दस्ता एक जीपीएस से लैस गाड़ी के साथ मौजूद होगा। मैसेज मिलते ही घटनास्थल की ओर रवाना हो जायेगा।
मौके पर पहुंचते ही होगी कार्रवाई
यूपी 100 के किसी भी दस्ते को घटना की सूचना मिलने पर तुरंत कम से कम समय में घटनास्थल पर पहुंचना होगा। इस सम्बन्ध में स्पेशल स्क्वाड को अलग से ट्रेनिंग दी गयी है। इसके पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचकर कंट्रोल रूम को घटना की स्थिति के बारे में जानकारी देंगे और घटना स्थल को सुरक्षित कर साक्ष्य को बचाएंगे, जिससे सबूतों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो पाए। इसके बाद की कार्यवाही की जाएगी। हालात गंभीर होने पर थाने से फोर्स तुरंत मौके पर मंगा ली जाएगी। इस बीच कंट्रोल रूम से कम्यूनिकेशन ऑफिसर्स कॉल करने वाले व्यक्ति के लगातार संपर्क में रहेंगे। इतना ही नहीं, रिस्पांस टाइम से लेकर पुलिसकर्मियों के व्यवहार और शिकायत निस्तारण का फीडबैक भी सूचना देने वाले से लिया जाएगा।
सीएम अखिलेश पहले ही लांच कर चुके हैं एप
यूपी 100 परियोजना का एप और लोगो सीएम अखिलेश बीते अक्टूबर माह में लॉन्च कर चुके हैं। इसे प्लेस्टोर से फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप को डाउनलोड करते समय यूजर का नाम, पता और अन्य डिटेल्स लिए जाते हैं। ये डिटेल्स पुलिस के डाटा बेस में सेव हो जाते हैं। ये सारा डेटा एप से यूपी 100 कंट्रोल रूम संपर्क करने पर काफी काम आता है।
इस तरह से कर सकते हैं संपर्क
यूपी के किसी भी कोने से लोग मोबाइल से कॉल, एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। इस कंप्लेन को तुरंत ट्रेस किया जाएगा लगातार इस पर फॉलो अप लिया जाएगा। आगे चलकर इस परियोजना से पब्लिक सेफटी की बेसिक सर्विसेज को भी इंटीग्रेड किए जाने का काम होगा। इसमें फायर सर्विसेज, हाईवे पुलिसिंग, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक सिस्टम, स्मार्ट सिटी सर्विलांस, वूमेन पॉवर लाइन समेत कई योजनाओं को शामिल किया जाएगा।
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